राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में प्रधानमंत्री मोदी के मुख्य यजमान न बनने का कारण आ गया सामने।

   राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में आया नया मोड़ 

     राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने वाली है।इसी बीच ताबड़तोड़ राजनीति भी शुरू हो गई है किसी को निमंत्रण मिल रहा है तो किसी को निमंत्रण नहीं मिल रहा है,किसी को निमंत्रण मिल रहा है तो नहीं जा रहा है तो भाजपा सरकार उसे एंटी हिंदू साबित करने में लग गई है।

Virlive


    इसी बीच हिंदू धर्म के प्रमुख शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती BBC के साक्षात्कार में एक बड़ी बात बोल दी जो चर्चा का विषय बन गया है, अविमुक्तेश्वरानंद जी ने कहा कि मुख्य यजमान बनने के लिए दोनों पति-पत्नी का होना जरूरी है नहीं तो वह मुख्य यजमान नहीं बन सकता है।
    इसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है, लोग सोशल मीडिया पर खूब चर्चा कर रहे हैं।
  अवीमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा है कि मुझे लोग कांग्रेसी,एंटी हिंदू बताने में लगे हुए हैं लेकिन मेरे मुख्य सवाल का जवाब नहीं दे पा रहे हैं कि राम मंदिर अधूरा विकलांग होने के बाद भी कैसे उसमें प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है ऐसा हिंदू धर्म में नहीं हो सकता है। 

औरंगजेब से की मोदी की तुलना

   BBC के इस साक्षात्कार में यह भी बताया कि वह मोदी जी के खिलाफ वाराणसी में अपना प्रत्याशी किस लिए उतारे थे।उसमें उन्होंने मोदी जी की तुलना इशारों इशारों में औरंगजेब से कर दी।जिसमें उन्होने बताया कि काशी में काशी कॉरिडोर बनाते वक्त सैकड़ो पुराने धार्मिक स्थलों को तोड़ दिया गया था।जिससे वह काफी दुखी थे और यह कहते-कहते औरंगजेब से मोदी की तुलना कर दी।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ